सरगुजा जिला Surguja District
सरगुजा Surguja District भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अम्बिकापुर है। भारत देश के छत्तीसगढ राज्य के उत्तर-पुर्व भाग में आदिवासी बहुल जिला सरगुजा Surguja District स्थित है। इस जिले के उत्तर में उत्तरप्रदेश राज्य की सीमा है, जबकी पूर्व में झारखंड राज्य है। जिले के दक्षिणी क्षेत्र में छत्तीसगढ का रायगढ, कोरबा एवं जशपुर जिला है, जबकी इसके पश्चिम में कोरिया जिला है।
स्थिति
इस जिले का अक्षांशिय विस्तार 230 37′ 25″ से 240 6′ 17″ उत्तरी अक्षांश और देशांतरिय विस्तार 810 37′ 25″ से 840 4′ 40″ पूर्व देशांतर तक है। यह जिला भौतिक संरचना के रुप से विंध्याचल-बघेलखंड और छोटा नागपुर का अभिन्न अंग है। इस जिले की समुद्र सतह से उंचाई लगभग 609 मीटर है।
स्थापना
इस जिले की स्थापना 1 जनवरी 1948 को हुआ था जो 1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य के निर्माण के तहत मध्यप्रदेश में शामिल कर दिया गया। उसके बाद 25 मई 1998 को इस जिले का प्रथम प्रशासनिक विभाजन करके कोरिया जिला बनाया गया। जिसके बाद वर्तमान सरगुजा जिला का क्षेत्रफल 16359 वर्ग किलोमीटर है। 1 नवम्बर 2000 जब छत्तीसगढ राज्य मध्यप्रदेश से अलग हुआ तब सरगुजा जिले को छत्तीसगढ राज्य मे शामिल कर दिया गया। वर्तमान मे सरगुजा जिला पुनः दो और भागो मे विभक्त हो गया है जिसमे नये जिले के रुप मे जिला सुरजपुर और जिला बलरामपुर का निर्माण हुआ है।
नामकरण
सरगुजा Surguja District के इतिहास से हमे यह पता चलता है कि सरगुजा कईं नामों से जाना जाता रहा है एक ओर जहां रामायण युग में इसे दंडकारण्य कहते थे वहीं दुसरी ओर दशवीं शताब्दी में इसे डांडोर के नाम से जाना जाता था। यह कहना कठिन है कि इस अंचल का नाम सरगुजा Surguja District कब और क्यों पडा। वास्तव में सरगुजा किसी एक स्थान विशेष का नाम नहीं है बल्कि जिले के समूचे भू-भाग को ही सरगुजा कहा जाता है।
प्राचिन मान्यताओ के अनुसार पूर्व काल में सरगुजा को निचे दिये गये नाम से जाना जाता था:
- सुरगुजा – सुर + गजा – अर्थात देवताओं एवं हाथियों वाली धरती।
- स्वर्गजा – स्वर्ग + जा – स्वर्ग के समान भू-प्रदेश
- सुरगुंजा – सुर + गुंजा – आदिवासियों के लोकगीतों का मधुर गुंजन।
वर्तमान में इस जिले को सरगुजा Surguja District नाम से ही जाना जाता है। जिसका अंग्रेजी भाषा में उच्चारण आज भी SURGUJA ही हो रहा है।
जलवायु
जलवायु वह भौगोलिक अवस्था है जो समस्त स्थानिय दशाओं को प्रभावित करती है। सरगुजा जिला भारत के मध्य भाग में स्थित है जिसके कारण यहां कि जलवायु उष्ण-मानसुनी है। सरगुजा जिले में जलवायु मुख्यत: तीन ऋतु अवस्थाओं का होता है जो निम्नांकित है।
ग्रीष्म ऋतु
यह ऋतु मार्च से जुन माह तक होती है चुंकि कर्क रेखा जिला के मध्य में प्रतापपुर से होकर गुजरती है इस लिये गर्मीयों में सुर्य की किरणें यहां सीधे पड्ती है इस लिये यहां का तापमान गर्मीयों में उच्च रहता है। इस ऋतु में जिले के पठारी इलाकों में गर्मीयां शीतल एवम सुहावनी होती है। इस दौरान सरगुजा जिले के मैनपाट जिसे छ्त्तीशगढ के शिमला के नाम से भी जाना जाता है, का तापमान अपेक्षाकृत कम होता है जिससे वहां का मौसम भी सुहावना होता है
वर्षाऋतु
यह ऋतु जुलाई से अक्टुबर तक होती है जिले में जुलाई व अगस्त में सर्वाधिक वर्षा होती है। जिले के दक्षीणी क्षेत्र में वर्षा सर्वाधिक होती है। यहां की वर्षा मानसुनी प्रवृति की होती है
शीतऋतु
इस ऋतु की शुरुवात नवम्बर में होती है और फरवरी माह तक रहती है जनवरी यहां का सबसे ठंड का महिना होता है जिले के पहाडी इलाकों जैसे मैनपाट, सामरीपाट में तापमान 5 0 से कम चला जता है। कभी कभी इन इलाकों में पाला भी पडता है।
SURGUJA VILLAGE LIST
जिला प्रशासन सरगुजा जिले में
- 13 तहसील हैं
- ७ ब्लाक
- 296 पटवारी हलका
- 977 ग्राम पंचायत
- 1772 राजस्व ग्राम
- 27 पुलिस रिजर्व सेंटर
- 27 राजस्व सर्कल
- 3 पुलिस जिला
- ७ विकासखण्ड
- 8 विधानसभा क्षेत्र
- 2 अभ्यारण्य
दर्शनीय स्थल
यहां अनेक जलप्रपात हैं:-
चेन्द्रा ग्राम
अम्बिकापुर- रायगढ राजमार्ग़ पर 15 किमी की दुरी पर चेन्द्रा ग्राम स्थित हैं। इस ग्राम से उत्तर दिशा में तीन कि॰मी॰ की दुरी पर यह जल प्रपात स्थित हैं। इस जलप्रपात के पास ही वन विभाग का एक नर्सरी हैं, जहां विभिन्न प्रकार के पेड-पौधों को रोपित किया गया हैं। इस जल प्रपात में वर्ष भर पर्यटक प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेने जाते हैं। यहां पर एक तितली पार्क भी विकसित किया जा रहा है।
रकसगण्डा जल प्रपात
ओडगी विकासखंड में बिहारपुर के निकट बलंगी नामक स्थान के समीप स्थित रेंहड नदी पर्वत श्रृखला की उंचाई से गिरकर रकसगण्डा जल प्रपात का निर्माण करती है जिससे वहां एक संकरे कुंड का निर्माण होता हैं यह कुंड अत्यंत गहरा है।
भेडिया पत्थर जल प्रपात
कुसमी चान्दो मार्ग पर तीस किमी की दुरी पर ईदरी ग्राम है। ईदरी ग्राम से तीन किमी जंगल के बीच भेडिया पत्थर नामक जलप्रपात है।
बेनगंगा जल प्रपात
कुसमी- सामरी मार्ग पर सामरीपाट के जमीरा ग्राम के पूर्व -दक्षिण कोण पर पर्वतीय श्रृंखला के बीच बेनगंगा नदी का उदगम स्थान है। यहा साल वृक्षो के समूह मे एक शिवलिंग भी स्थापित है।
सेदम जल प्रपात
अम्बिकापुर- रायगढ मार्ग पर अम्बिकापुर से 45 कि.मी की दूरी पर सेदम नाम का गांव है। इसके दक्षिण दिशा में दो कि॰मी॰ की दूरी पर पहाडियों के बीच एक सुन्दर झरना प्रवाहित होता है।कई अन्य रोचक स्थल भी हैं
मैनपाट
मैनपाट अम्बिकापुर से 75 किलोमीटर दुरी पर है इसे छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। मैंनपाट विन्ध पर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर ह।
ठिनठिनी पत्थर
अम्बिकापुर नगर से 12 किमी. की दुरी पर दरिमा हवाई अड्डा हैं। दरिमा हवाई अड्डा के पास बडे – बडे पत्थरो का समुह है। इन पत्थरो को किसी ठोस चीज से ठोकने पर आवाजे आती है।
कैलाश गुफा
अम्बिकापुर नगर से पूर्व दिशा में 60 किमी. पर स्थित सामरबार नामक स्थान है, जहां पर प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है।
तातापानी
अम्बिकापुर-रामानुजगंज मार्ग पर अम्बिकापुर से लगभग 80 किमी. दुर राजमार्ग से दो फलांग पश्चिम दिशा मे एक गर्म जल स्त्रोत है। इस स्थान से आठ से दस गर्म जल के कुन्ड है।
सारासौर
अम्बिकापुर – बनारस रोड पर 40 किमी. पर भैंसामुडा स्थान हैं। भैंसामुडा से भैयाथान रोड पर 15 किमी. की दूरी पर महान नदी के तट पर सारासौर नामक स्थान हैं।
बांक जल कुंड
अम्बिकापुर से भैयाथान से अस्सी कि.मी की दूरी पर ओडगी विकासखंड है, यहां से 15 किमी. की दुरी पर पहाडियों की तलहटी में बांक ग्राम बसा है। इसी ग्राम के पास रिहन्द नदी वन विभाग के विश्राम गृह के पास अर्द्ध चन्द्राकार बहती हुई एक विशाल जल कुंड का निर्माण करती है। इसे ही बांक जल कुंड कहा जाता है। यह जल कुंड अत्यंत गहरा है, जिसमें मछलियां पाई जाती है। यहां वर्ष भर पर्यटक मछलियों का शिकार करने एवं घुमनें आते हैं।
प्रसिद्ध व्यक्ति
स्व0 राजमोहनी देवी (समाज सुधारक)
इनका जन्म सरगुजा जिलें के प्रतापपुर विकासखण्ड के शारदापुर ग्राम में सन 1914 को हुआ था। इनका जीवन संघर्षमय था। इनका वास्तविक नाम रजमन बाई था। महात्मा गांधी से प्रेरित होकर इन्होनें सरगुजा जिलें एवं दुसरे राज्यों जैसे बिहार तथा उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती ग्रामों में समाज सुधार के लिये अपना संदेश लोगो तक पहुंचाया। उनका संदेश था- ” जीव हिंसा मत करों, शराब पीना छोड दो, मांस भक्षण मत करों, सन्मार्ग पर चलों, इसी में जीवन का सार है।” इन्हें सन 1986 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय समाज सेवा पुरुस्कार तथा 1989 मे राष्ट्रपति द्वारा “पद्म श्री” पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। 6 जनवरी 1994 को राजमोहनी देवी ने दुनिया को अलविदा कहा।
श्रीमती सोनाबाई रजवार (सिद्धहस्थ शिल्पी)
सरगुजा जिलें के मुख्यालय अम्बिकापुर से लगभग 28 किमी की दुरी पर अम्बिकापुर-बिलासपुर मार्ग पर लखनपुर स्थित है। इसके पास ग्राम पुहपुटरा में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सिद्धहस्थ शिल्पी श्रीमती सोनाबाई रजवार का निवास है। मिट्टी शिल्प के लिये इन्हें राष्ट्रपति पुरुस्कार, म0 प्र0 शासन का तुलसी सम्मान एवं शिल्प गुरु अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इनके द्वारा बनाई गई मिट्टी की अनेक कलाकृतियों का प्रदर्शन देश एवं विदेशों मे आयोजित कई प्रदर्शनियों में किया जा चुका है।
श्री राम कुमार वर्मा जी (सुप्रसिद्ध साहित्यकार व्यंग्यकार और हास्य कवि)
सरगुजा (surguja) जिले के अंबिकापुर (Ambikapur) नामक शहर के निवासी साहित्य रत्न श्री राम कुमार वर्मा जी ने 19 अप्रैल 1998 को सर्वोत्तम रचना के तहत दूरदर्शन भोपाल द्वारा प्रथम पुरस्कार स्वरूप गोल्ड मेडल व प्रमाण पत्र, महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री के आर नारायणन जी, महामहिम राष्ट्रपति महोदय डाक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम जी, माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी, माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री मनमोहन सिंह जी सहित भारत वर्ष के चारो दिशाओ के महामहिम राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्रीजी से लिखित मे शुभकामना और प्रशंसा पत्र प्राप्त कर जिले का मान बढ़ाया है। आपने सरगुजा के साहित्य को विश्व पटल पर अंकित करने मे महत्त्वपुर्ण योगदान दिया है। आपको देश विदेश की नामी और प्रतिष्ठित संस्थाओ ने सम्मानित करते हुए विभिन्न अलंकरण और सम्मानोपाधि से सम्मानित किया है।
श्री श्रवण शर्मा (चित्रकार)
सरगुजा जिलें के मुख्यालय अम्बिकापुर के निवासी चित्रकार श्री श्रवण शर्मा ने अपनी मनमोहक चित्रकारी से इस जिलें को गौरवांवित किया हैं। इनके द्वारा सरगुजा जिलें के प्राकृतिक सौन्दर्य, ग्रामीणों का जीवन इत्यादि विषयों पर कई चित्र बनाया गया है। अब तक इनके द्वारा हजारों पेंटिग्स एवं रेखाचित्रों का सृजन किया जा चुका है। “अकाल और रोटी” चित्र के लिये इन्हें भारत सरकार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
सरगुजा जिलें को गौरवांवित करने वाले और भी कई व्यक्ति हैं जिन्होनें अपनी प्रतिभा से कुछ ऐसा कार्य किया जिससे इस जिले का नाम रोशन हुआ।
कैसे पहुंचें
प्रकृति ने सरगुजा जिलें को विभिन्न प्रकार के वनों, सरोवरों, नदियों, पहाड इत्यादि से इस प्रकार परिपूर्ण किया है कि आप इस पावन धरती पर जरुर आना चाहेंगे। इसी धरती पर जहां एक ओर महाकवि कालीदास नें अपने सुप्रसिध महाकाव्य ‘मेघदुत’ की रचना की थी, वहीं दुसरी ओर भगवान राम, सीता माता और भाई लक्ष्मण सहित यहां वनवास के कुछ दिन काटे थे। सरगुजा जिला सडक एवं रेल मार्ग से सीधे जुडा हुआ है।
सडक मार्ग
छत्तीसगढ राज्य में :
- रायपुर से अम्बिकापुर (जिला मुख्यालय) – 358 किमी
- बिलासपुर से अम्बिकापुर – 230 किमी
- रायगढ से अम्बिकापुर – 210 किमी
- मध्यप्रदेश राज्य में: अनुपपुर से अम्बिकापुर – 205 किमी
- उत्तरप्रदेश राज्य में: वाराणसी से अम्बिकापुर – 350 किमी
- झारखंड राज्य में: रांची से अम्बिकापुर – 368 किमी
- उडीसा राज्य में: झारसुगुडा से अम्बिकापुर – 415 किमी
रेल मार्ग
सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर 03 जून 2006 से रेल मार्ग से जुड गया है। अम्बिकापुर शहर के मुख्य मार्ग देवीगंज रोड पर स्थित गांधी चौक से रेल्वे स्टेशन की दुरी लगभग 5 किमी है। यहां से टैम्पो, टैक्सी इत्यादी से अम्बिकापुर शहर आया जा सकता है। आप निम्न ट्रेंन रुट का प्रयोग अम्बिकापुर आने के लिये कर सकते है:
- नई दिल्ली से अनुपपुर >> अनुपपुर से अम्बिकापुर
- मुंबई से बिलासपुर >> बिलासपुर से अम्बिकापुर
- चेन्नई से बिलासपुर >> बिलासपुर से अम्बिकापुर
- कोलकाता से रायगढ >> रायगढ से अम्बिकापुर
बिलासपुर से अम्बिकापुर आने के लिये बस और ट्रेंन दोनो का प्रयोग किया जा सकता है। बस अम्बिकापुर तक सीधे आती है जबकी ट्रेंन अनुपपुर (मध्यप्रदेश) होतें हुये अम्बिकापुर तक आती है। रायगढ से अम्बिकापुर आने के लिये बस की सुविधा ही उपलब्ध है।
वायु मार्ग
अम्बिकापुर सीधे आने के लिये वायु मार्ग उपलब्ध नहीं है, आप रायपुर तक देश के निम्न स्थानों से वायु मार्ग से आ सकते है, उसके बाद रायपुर से अम्बिकापुर आने के लिये बस का प्रयोग करना होगा:
- नई दिल्ली से रायपुर
- मुंबई से रायपुर
- चेन्नई से रायपुर
- कोलकाता से रायपुर
- नागपुर से रायपुर
- रांची से रायपुर