छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर्व एवं त्यौहार
छत्तीसगढ़ी पंचांग || हिंदू पंचांग || Full details of Chhattisgarhi Calendar and Hindu Calendar
छत्तीसगढ़ी पंचांग के महीने:
परिचय:
छत्तीसगढ़ी पंचांग, जिसे “बछर” भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसा पंचांग है जो हिंदी पंचांग पर आधारित है, लेकिन इसमें छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति से जुड़ी कई विशेषताएं भी शामिल हैं।
विशेषताएं:
- भाषा: छत्तीसगढ़ी पंचांग छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखा जाता है, जो हिंदी की एक बोली है।
- माह: छत्तीसगढ़ी पंचांग में 12 महीने होते हैं, जिनके नाम हिंदी पंचांग के महीनों के नामों से थोड़े अलग होते हैं।
- तिथियां: छत्तीसगढ़ी पंचांग में तिथियों के नाम भी हिंदी पंचांग से थोड़े अलग होते हैं।
- त्योहार: छत्तीसगढ़ी पंचांग में छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख त्योहारों और उत्सवों को शामिल किया गया है।
- ज्योतिषीय गणना: छत्तीसगढ़ी पंचांग में ग्रहों की चाल, नक्षत्रों की स्थिति, शुभ मुहूर्त आदि की ज्योतिषीय गणनाएं भी शामिल होती हैं।
उपयोग:
- त्योहारों और उत्सवों की तिथियों का पता लगाने के लिए।
- शुभ मुहूर्तों का निर्धारण करने के लिए।
- कृषि कार्यों के लिए दिशानिर्देश प्राप्त करने के लिए।
- रोजमर्रा के जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए।
प्रकार:
- छत्तीसगढ़ी पंचांग कई प्रकाशन गृहों द्वारा प्रकाशित किए जाते हैं।
- कुछ लोकप्रिय छत्तीसगढ़ी पंचांगों में “बछर”, “छत्तीसगढ़ी कैलेंडर”, और “पंचांगिका” शामिल हैं।
महत्व:
- छत्तीसगढ़ी पंचांग छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह लोगों को उनके त्योहारों और उत्सवों को मनाने, शुभ मुहूर्तों का निर्धारण करने और रोजमर्रा के जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त करने में मदद करता है।
छत्तीसगढ़ी पंचांग में 12 महीने होते हैं, जिनके नाम हिंदी पंचांग के महीनों के नामों से थोड़े अलग होते हैं।
महीने | महीने | छत्तीसगढ़ी नाम | हिंदी नाम |
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मार्च -अप्रैल 👉 | चैत्र | फागुन | फाल्गुन |
अप्रैल-मई 👉 | वैशाख | बैसाख | बैसाख |
मई- जून 👉 | ज्येष्ठ | जेठ | ज्येष्ठ |
जून -जुलाई 👉 | आषाढ़ | सावन | आषाढ़ |
जुलाई-अगस्त 👉 | श्रावण | भादो | श्रावण |
अगस्त-सितंबर 👉 | भाद्रपद | कुंवर | भाद्रपद |
सितंबर अक्टूबर 👉 | आश्विन | कत्तिक | आश्विन |
अक्टूबर-नवंबर 👉 | कार्तिक | अघन | कार्तिक |
नवंबर- दिसंबर 👉 | अग्रहायण | पुष | अगहन |
दिसंबर- जनवरी 👉 | पौष | माघ | पौष |
जनवरी-फरवरी 👉 | माघ | फागुन | माघ |
फरवरी-मार्च 👉 | फाल्गुन | चैत्र | फाल्गुन |
छत्तीसगढ़ी पंचांग || हिंदू पंचांग की पूरी जानकरी
1 महीने में 30 दिन होते हैं 30 जून को हिंदू पंचांग में 15 15 दिन पक्षों में बांटा गया है
हिंदू पंचांग को चंद्र पंचांग भी कहा जाता है चंद्र पंचांग से आशय यह है कि चंद्रमा 15 दिन बढ़ता है और 15 दिन घटता है
मुसलमानों का कैलेंडर भी चंद्र कैलेंडर पर आधारित है
30 दिन का कैलेंडर
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
15 दिन अमावस्या या अमावस | 15 दिन पूर्णिमा या पुन्नी |
अंधियारी पाख | अंजोरी पाक |
छत्तीसगढ़ी त्योहार पंचांग
1. चैत्र
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
चैत्र नवमी- रामनवमी |
हिंदू पंचांग का प्रथम माह
2. वैशाख
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
वैशाख तृतीया अक्षय तृतीया अक्ति – आखा – तीज वैशाख तृतीया – वैशाख महीने की तीसरी तिथि वैशाख तृतीया – अक्षय तृतीया (अक्ति) गुड्डे गुडियो का विवाह पुतरा – पूतरी विवाह |
3. जेठ
हिंदु पंचांग एवं छत्तीसगढ़ी पंचाग के इस महीने मे किसी भी प्रकार का त्योहार नही होता है।
4. अषाढ
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
अषाढ द्वितीया – अषाढ महीने की दूसरी तिथि रथ द्वितीया-👇 |
हिंदू वर्ष का चौथा महिना
रथ यात्रा जगननाथ स्वामी (कृष्ण) बलभद्र/बलराम शुभद्रा | ओडिशा का त्योहार – रथ जुतिया बस्तर की रथ यात्रा – गोंचा |
5. सावन
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
सावन अमावस्या [हरियाली]- हरेली (छत्तीसगढ़ का प्रथम त्योहार) कृषि से संबंधित त्योहार कृषि उपकरण की पूजा [गुरहा चिला -मिठा एवं खारा पकवान] [गेढी] |
6.भादो
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
भादो षष्ठी – हलषष्ठी– कमरछ्ठ [ पुत्र की दिर्घायू के लिए व्रत] – खमरछ्ठ (6 प्रकार की सब्जी खाते है / भैस का सम्मन किया जाता है दूध दही चढ़ाया जाता है) भादो अमावस्या – पोला ( बैल की पूजा की जाती है/ बैल दौड़ का आयोजन) | भादो तृतीया – तिजा – हरतालिका – ठेठरी- खुरमी |
7. कुवार
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
15 दिनों का पृत पक्ष मनाया जाता है (जिसमे पूर्वजो को याद किया जाता है) ( बरा – बोबरा बनाया जाता है) पितर त्योहार मातृ – नवमी | दुर्गा पूजा दशहरा त्योहार |
8. कार्तिक पक्ष
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
दीपावली त्योहार | शुक्ल पक्ष की 11 वी तिथि कार्तिक प्रबोधनी एकादशी देव – उठनी एकादशी देवता जागरण तुलसी विवाह कुशियार का मंडप (गन्ना) [राउत नाचा] [सुवा नृत्य ] [गौरा गौरी] |
9. अगहन
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
इस महीने धान के फसल की कटाई की जाती है।
10. पूस
कृष्ण पक्ष | शुक्ल पक्ष |
पूस महीने की पूर्णिमा पूस पुन्नी- छेरछेरा (धान दान की जाती है) |
11. माघ
12. फागुन
माघ एवं फागुन माह के महीने मे सभी जगह मेले मंडाइ का आयोजन किया जाता जाता है।