छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल GAOURAIYA DHAM CHAURAIL
GAOURAIYA DHAM CHAURAIL न्यास सिद्ध शक्तिपीठ पवित्र गौरैया धाम – बालोद जिले के गुण्डरदेही ब्लॉक मुख्यालय से 15 कि. मी की दुरी पर ग्राम चौरेल में तांदुला नदी के सुरम्य तट पर यह पवित्र गौरेया धाम स्थित है। इस पवित्र धाम में प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेला लगता है तथा नदी में विभिन्न अखाड़ों के साधु संत एवं आमजन शाही स्नान करते हैं। मेला के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। इस पवित्र धाम में प्राचीन शिवालय होने के कारण सावन मास में विशेष रौनक रहती है
तीन नदियों का संगम : विधायक कुंवर सिंह निषाद ने बताया कि “गौरेया धाम में तीन गांव के बीच विविध आयोजन होते हैं. मुख्य आयोजन चौरेल में होता है. तांदुला नदी मोहलाई और पैरी घाट से भी जुड़ा है. तीनों इलाके के बीच तांदुला नदी संगम के रूप में हैं. यहां कोंगनी की ओर से लोहारा नाला और भोथली से जुझारा नदी भी मिलती है. 3 गांवों के बीच 3 नदियों का संगम होता है. यहां पर पूरे अंचलवासियों की आस्था जुड़ी हुई है.” उन्होंने कहा कि “यह मेला लोगों को आस्था से जोड़ता है.”
समाधि में लीन हुए थे देवता : कहावत के अनुसार “यहां सभी देवी-देवता तीर्थ भ्रमण करते हुए शिवरात्रि में आए और समाधि में लीन हो गए. भगवान शिव ने समाधि खुलने के बाद यह देखा कि माता गौरी और गौरैया पक्षी अपने हाथों में चंवर (चावल) लिए भक्ति में लीन हैं. शिव दोनों के सेवाभाव से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया. माता गौरी और गौरैया पक्षी दोनों ने आशीर्वाद मांगा कि हम सदैव आपकी सेवा में लीन रहें.”
खुदाई में 132 पाषाण मूर्तियां निकली: इस धाम में स्थित एक प्राचीन बावली में खुदाई से 8वीं से 12वीं सदी की लगभग 132 पाषाण मूर्तियां निकली. जिन्हें मंदिर परिसर में ही रखा गया है. छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक दृष्टि से यह क्षेत्र फणी नागवंशी शासकों के अधीन था. यहां से प्राप्त मूर्तियों और भोरमदेव मंदिर में स्थित मूर्तियों में साम्यता है. इस धाम में प्राचीन मंदिरों का विशिष्ट समूह है. यहां राम जानकी मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर, ज्योतिर्लिंग दर्शन, दुर्गा मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, पंचमुखी हनुमान मंदिर, बूढ़ादेव मंदिर, संत गुरु घासीदास मंदिर, संत कबीर मंदिर और वैदिक आश्रम हैं.