History of Chhattisgarh – छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है इसका गठन 1 नवंबर सन 2000 को हुआ था और यह भारत का 26 वां राज्य है पहले यह मध्य प्रदेश के अंतर्गत आता था डॉ हीरालाल के मतानुसार छत्तीसगढ़ चेदीशगढ़ का अब अंश हो सकता है किसी समय क्षेत्र में छत्तीसगढ़ थे इसलिए इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा
History of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कौशल था जो 36 गणों को अपने आप में समाहित रखने के कारण कालांतर में छत्तीसगढ़ बना
छत्तीसगढ़ में मुख्यता दो भाषाएं थी 👉 छत्तीसगढ़ी वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास केंद्र रहा है
छत्तीसगढ़ी भाषा👉
छत्तीसगढ़ी भाषा के छत्तीसगढ़ राज्य में बोले जाने वाली एक अत्यंत मधुर एवं स्वरस भाषा है यह हिंदी के अत्यंत निकट है और इसकी लिपि देवनागरी है छत्तीसगढ़ी का अपना समृद्ध साहित्य व व्याकरण है छत्तीसगढ़ी दो करोड़ लोगों की मातृभाषा है|
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल👉
अंबिकापुर (AMBIKAPUR)👉
अंबिकापुर शहर छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का मुख्यालय है इसका नाम हिंदू देवी अंबिका के नाम पर रखा गया जल स्रोतों के अनुसार अंबिकापुर का पुराना नाम बैकुंठपुर था|
सरगुजा जिला अन्य सहारा रायगढ़ महेशपुर कुदरगढ़ भैया धाम मैनपाट तातापानी
अंबिकापुर शहर में महामाया देवी का मंदिर है|
इस मंदिर को काफी मान्यता प्राप्त है हजारों लोग अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए देवी के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं|
राजिम(RAJIM LOCHAN)👉
यह छत्तीसगढ़ का प्रयाग स्थल राजिम रायपुर से 47 किलोमीटर दूरी पर स्थित है |
यह महा नदी के तट पर स्थित है यह पैरी और सोनू नदी महानदी में आकर मिलती है मांग पूर्णिमा प्रतिवर्ष मेला होता है यह भागवत राजिम लोचन का बेहद सुंदर प्राचीन मंदिर है एवं बहुत सारे मंदिरों का समूह भी है जिसका विशेष धार्मिक महत्व है|
गिरौदपुरी धाम(GIROUDPURI DHAM)👉
गिरोधपुरी बलौदा बाजार जिले में स्थित है यह बलौदा बाजार से तकरीबन 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर है जहां बाबा गुरु घासीदास का जन्म हुआ था गिरौदपुरी में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जय स्तंभ है जो कुतुब मीनार से भी ऊंचा है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं 18 दिसंबर को गुरु घासीदास बाबा का जन्म जयंती मनाया जाता है जिसमें लाखों लोगों की भीड़ गिरौदपुरी धाम उमड़ती है गिरौदपुरी धाम में बहुत सारे धामों का निर्माण किया गया इसमें मुख्यता पंचकुंड छाता पहाड़ जोक नदी मुख्य मंदिर अत्यधिक मनमोहित एवं आनंदित करने वाला दृश्य है आपको इस जगह का एक बार दर्शन अवश्य करना चाहिए
डोंगरगढ़(DONGARGADH)👉
डोंगरगढ़ हावड़ा मुंबई मार्ग पर स्थित है राजनांदगांव से 59 किलोमीटर दूरी पर स्थित है पहाड़ी के ऊपर मां बमलेश्वरी का विशाल मंदिर है नवरात्रि के दिन उपार्जन समूह माता जी के दर्शन के लिए आते हैं इसका निर्माण कामसेन राजा ने किया था
दंतेवाड़ा(DANTEWADA)👉
बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की पावन नगरी दंतेवाड़ा है डंकिनी शंखिनी नदी के संगम पर स्थित है यह जगदलपुर से 85 किलोमीटर दूरी पर है इसका निर्माण भागेश्वरी देवी द्वारा कराया गया था
बारसूर(BARSHUR)👉
बारसूर बस्तर के ऐतिहासिक नजरिया बारसूर को नागवंशी राजाओं की राजधानी होने का का गौरव प्राप्त है जगदलपुर गीता के दंतेवाड़ा मार्ग से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है यह मंदिर मामा भाचा के नाम से प्रसिद्ध है
तुलार(TULAR)👉
अबूझमाड़ के माण क्षेत्र के दो पहाड़ियों के मध्य स्थित शिवलिंग पर हमेशा यह सारे समय स्वच्छ निर्मल जल टपकता रहता है या प्रसिद्ध मंदिर तुलार के नाम से जाना जाता है बारसूर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
गुप्तेश्वर(GUPTESHWAR)👉
दक्षिण बस्तर में सबरी नदी के किनारे स्थित धरा स्थान पर पुरातात्विक उत्खनन के उपरांत पांचवी और छठी शताब्दी कटचूरी शासन काल की मूर्तियां मंदिर वह बावड़ी आदि मिली तीनों की खुदाई के उपरांत शिव मंदिरों का विशाल समूह मिला
ढोढरेपाल(DHODHREPAL)👉
दरबा विकासखंड में स्थित यह प्राचीन भारतीय मंदिर कला का अद्भुत उदाहरण है चित्र शैली से निर्मित 3 मंदिरों का समूह और अवशेध रह गया है
आरंग(AARANG)👉
रायपुर से संबलपुर जाने वाली राष्ट्रीय राज्य मार्ग 6 पर रायपुर से