Kosartenda Dam का इतिहास:
Kosartenda Dam , भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में स्थित, सालेमेटा सिंचाई परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह बांध, इंद्रावती नदी की सहायक नदी, कोसार नदी पर निर्मित है।
Kosartenda Dam का निर्माण:
- इस बांध का निर्माण कार्य 1978 में शुरू हुआ था और 1984 में पूरा हुआ था।
- यह बांध, मिट्टी से बना हुआ एक ‘अर्थ-फिल’ बांध है, जिसकी ऊंचाई 33 मीटर और लंबाई 1025 मीटर है।
- बांध के जलाशय का क्षेत्रफल 22.5 वर्ग किलोमीटर है और इसकी कुल जल संग्रहण क्षमता 165.5 मिलियन क्यूबिक मीटर है।
Kosartenda Dam का उद्देश्य:
- कोसारटेंडा बांध का मुख्य उद्देश्य, बस्तर क्षेत्र के कृषि क्षेत्रों को सिंचाई प्रदान करना है।
- बांध से निकलने वाली नहरों के माध्यम से, लगभग 50,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाता है।
- बांध, बाढ़ नियंत्रण और बिजली उत्पादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Kosartenda Dam का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव:
- कोसारटेंडा बांध के निर्माण से बस्तर क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
- बांध ने कृषि उत्पादकता में वृद्धि की है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है।
- बांध से मछली पकड़ने और पर्यटन जैसी अन्य गतिविधियों को भी बढ़ावा मिला है।
Kosartenda Dam का पर्यावरणीय प्रभाव:
- कोसारटेंडा बांध के निर्माण से कुछ नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव भी पड़े हैं।
- बांध के जलाशय में डूबे हुए क्षेत्रों के कारण, कुछ वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं।
- बांध से निकलने वाले तलछट, नदी के जल प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
कोसारटेंडा बांध, बस्तर क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। इसने क्षेत्र के कृषि, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन और पर्यटन को बढ़ावा दिया है।
हालांकि, बांध के निर्माण से कुछ नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव भी पड़े हैं। इन प्रभावों को कम करने के लिए, उचित पर्यावरणीय प्रबंधन योजनाओं को लागू करना आवश्यक है।