बस्तर एवं नारायणपुर जिलों में विभिन्न आदिवासी जातियाँ : Various tribal castes in Bastar and Narayanpur districts
Tribal castes in Bastar– बस्तर और नारायणपुर जिले, छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति और विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन जिलों में अनेक आदिवासी जातियाँ निवास करती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1. मुरिया:
- बस्तर की सबसे बड़ी और प्रभावशाली आदिवासी जाति।
- इनकी भाषा “मुरिया” है, जो द्रविड़ भाषा परिवार से संबंधित है।
- कृषि, पशुपालन, और लघु वन उपज संग्रहण इनका मुख्य व्यवसाय है।
- माता-देवी और हिरण देव इनके प्रमुख देवता हैं।
2. गोंड:
- बस्तर और नारायणपुर में निवास करने वाली दूसरी बड़ी आदिवासी जाति।
- इनकी भाषा “गोंडी” है, जो भील भाषा परिवार से संबंधित है।
- बस्तर दशहरा इनके द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है।
- पेड़-पौधों और वन्यजीवों का इनके जीवन में विशेष महत्व है।
3. हलबी:
- इनकी भाषा “हल्बी” है, जो इंडो-आर्य भाषा परिवार से संबंधित है।
- कृषि इनका मुख्य व्यवसाय है।
- माता-देवी और भगवान शिव इनके प्रमुख देवता हैं।
- होली और दिवाली इनके प्रमुख त्यौहार हैं।
4. बघेल:
- बस्तर के राजपूत वंश से संबंधित आदिवासी जाति।
- इनकी भाषा “बघेली” है, जो हिंदी की एक बोली है।
- कृषि, पशुपालन, और शिकार इनका मुख्य व्यवसाय है।
- भगवान राम और हनुमान इनके प्रमुख देवता हैं।
5. अबुझमाड़:
- नारायणपुर जिले में निवास करने वाली एक पृथक आदिवासी जाति।
- घने जंगलों में निवास करते हैं और बाहरी दुनिया से कम संपर्क रखते हैं।
- इनकी भाषा “अबुझमाड़ी” है, जो किसी भी ज्ञात भाषा परिवार से संबंधित नहीं है।
- प्रकृति और वन्यजीवों इनके जीवन का अभिन्न अंग हैं।
इनके अलावा भी कई छोटी-छोटी आदिवासी जातियाँ इन जिलों में निवास करती हैं, जैसे कि:
- बीजा: कुम्हार का काम करते हैं।
- धुर: धातु का काम करते हैं।
- नरेटी: बांस के काम में कुशल होते हैं।
- सोरा: शिकार और वन्यजीवों के संग्रहण में कुशल होते हैं।
इन सभी आदिवासी जातियों की अपनी अनूठी भाषा, संस्कृति, परंपराएँ और रीति-रिवाज हैं। ये जातियाँ बस्तर और नारायणपुर की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है।
- प्रत्येक आदिवासी जाति अनेक उप-जातियों और समूहों में विभाजित होती है।
- इन जातियों के रीति-रिवाजों और परंपराओं में क्षेत्रीय भिन्नताएं भी हो सकती हैं।
- इनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, आपको इन जातियों के विशेषज्ञों या विद्वानों से संपर्क करना चाहिए।
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